Kunwari Ladki Ko Uncle Ne Choda

कुंवारी लड़की को अंकल ने मोटे लंड से चोदा

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मेरा नाम सान्या है मैं अभी 20 साल की हूं, और यह कारनामा मैंने अठारह साल में ही शुरू कर दिया, जिस दिन मैं अठारह साल की हुई थी, उसी दिन अपने चूत की सील को तुड़वाई थी। मुझे बहुत दर्द हुआ था, पर मजा बहुत आया था। जब मेरे सर जी का लंड मेरी चूत के अंदर गया तो मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया था।

मेरी सांसे तेज तेज चल रही थी। मेरे चूचियां टाइट हो गई थी निप्पल का रंग पिंक हो गया था। सर जी का मोटा लंड मेरी चूत में सेट हो गया था। मैं ज्यादा हिल भी नहीं पा रही थी। पर वह धीरे-धीरे से लंड को अंदर बाहर कर रहे थे। चलिए दोस्तों मैं अब कहानी शुरू करती हूँ.

जब मैं बारहवीं के पेपर देकर कॉलेज एडमिशन का इंतजार कर रही थी। तभी मेरे पापा ने अपना नौकरी बदल दिया और हम लोग एक कोने से दूसरे कोने आ गए। पुराने लोग वही छूट गए, जहां पर हम लोग आए वहां पर हम लोग सभी में घुल मिल गए था। हम लोग दिल्ली में रहते हैं।
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मेरी मम्मी सिलाई का काम करती हैं और कभी-कभी ब्यूटी पार्लर का भी काम कर लेती हैं जो महिलाएं घर पर आती है। मेरे पापा सुबह जॉब पर जाते हैं अब रात को 11:00 बजे घर आते हैं। मैं अकेली लड़की हूं अपने माता-पिता की मेरा कोई भाई बहन नहीं है।

मेरे घर के बगल में ही एक अंकल रहते हैं वह बहुत ज्यादा बड़े तो नहीं है पर जब से मैं आई अंकल बोलने लगी क्योंकि वह मेरी मम्मी को भाभी बोल रहे थे। अंकल का एकाउंट्स का काम था। उनके पास कई कंपनियों का काम था तो घर से ही वह करते थे।

एक दिन मेरी मम्मी ने उनसे बात की सान्या को आप अपने पास रख कर कुछ काम सिखा दीजिए। क्योंकि मैं सिलाई से ज्यादा पैसा नहीं कमा पाती हूँ उसके पापा भी ज्यादा नहीं कमा पाते हैं। मम्मी ने थोड़ा दुखड़ा रोया और अंकल मुझे बुला लिया। अंकल हॉट और सेक्सी किस्म के इंसान हैं।

उनकी पत्नी गांव गई हुई थी, बच्चा होने वाला था। घर में अंकल अकेले ही रहते थे। मैं तो दस बजे उनके पहुंच जाती थी। वह मुझे काम सिखाने लगे दिन का खाना कभी मैं ही बना देती थी अभी वह बना देते थे तो मैं खाती थी। सिलसिला चलने लगा।

धीरे-धीरे हम दोनों में ऐसा रिलेशन हो गया जैसा कि एक दोस्त का हो। बंद फ्लैट में एक लड़की और एक आदमी हो चाहे आदमी कितने साल का क्यों ना हो दिल आ ही जाता है। मेरा दिल भी अंकल पर आ गया और दिल भी मेरे ऊपर आ गया। बहुत ही ज्यादा मदद करने लगे गिफ्ट देने लगे काम सिखाने लगे।

मैं बहुत खुश हो गई मेरी मम्मी भी खुश थी मेरे पापा खुश नहीं थी वह नहीं चाहते थे कि मेरी बेटी किसी मर्द के पास अकेले दिन भर रहे। क्योंकि मेरे पापा भी इसी किस्म के इंसान है इसलिए उनको डर लगता है। धीरे-धीरे प्यार परवान चढ़ा और एक दिन अठारह बर्थडे पर उन्होंने मुझे गले लगा लिया गिफ्ट दिया और फिर मेरे होंठ को चूम लिया।

मुझे तो ऐसा लग रहा था वह भी अठारह साल का इंतजार कर रहे थे। और मैं कब से तड़प रही थी उनकी बाहों में आने के लिए उस दिन मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई। जैसे ही उनका होंठ मेरे होंठ पर पड़ा मैं बेचैन हो गई मैं पागल हो गई मेरी चूत गीली हो गई मैंने उनको रोका नहीं और फिर बात आगे बढ़ गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मेरी चुचियों को दबाते हुए मुझे पलंग पर लिटा दिया मेरे कपड़े उतार दिए मेरे चुचियों को मुंह में लेकर पीने लगे। यह पहला एहसास था किसी मर्द का, मेरी वासना भड़क गई थी मेरी चूत के छेद बहुत छोटी थी तुम मेरे मन में डर बना हुआ था कि पता नहीं आज क्या होगा।

दस मिनट के अंदर ही वह मेरे चूत के पास पहुंच गए। मेरी पेंटिं खोल कर अलग कर दिया मेरे पैरों को अलग-अलग करके मेरी चूत को चाटने लगे। दस मिनट तक वह चाटते रहे मैं बार-बार गरम गरम नमकीन पानी छोड़ते थे और वह चार जाते थे। मैंने उनका लंड हाथ में लिया तुम्हें से हर गई।
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इतना मोटा लंड डर भी गई थी कि कहीं मेरी चूत फट ना जाए। धीरे-धीरे वासना की आग में मैं देख रही थी। उन्होंने मेरे दोनों टांगों को अलग-अलग किया अपना मोटा लंड मेरी चूत के छेद पर लगाया। घुसाने की कोशिश की पर काफी दर्द होने की वजह से मैं बार-बार धक्का दे देती थी, या खुद को उन से अलग कर लेती थी।

ऐसे में उनका लंड खड़ा का खड़ा ही रह जाता था और मैं अलग हो जाती थी। उन्होंने दो-तीन बार ट्राई किया पर गया नहीं। उन्होंने मुझे समझाया धीरे-धीरे से करूंगा और फिर उन्होंने दोनों हाथों से चूचियों को मसलते हुए अपना लंड मेरी चूत के छेद पर लगाया और होले होले 5-7 धक्के में अंदर घुसा दिया।

मैं दर्द से शांत हो गए मेरे चूचू को सहला रहे थे। धीरे-धीरे अब वह अंदर बाहर करने लगे और मेरा दर्द भी धीरे-धीरे कम होने लगा। दस मिनट के बाद वह जोर-जोर से मुझे चोदने लगे पर दर्द ज्यादा होने की वजह से मैं उनको कहते थे कि जोर से मत करो। फिर वह होले होले मेरी चूत के अंदर अपने मोटे लंड को घुस आते थे और फिर मेरे चुचियों को दबाते हुए मुझे चुम्मा लेते थे। 20 से 25 मिनट में उन्होंने मुझे शांत कर दिया और अपना सारा माल मेरे चूत के अंदर ही छोड़ दिया। उस दिन के बाद से मुझे उनकी आदत सी लग गई थी।

दस बजे अच्छे से तैयार होकर वहां जाती थी और काम धंधा तो कुछ होना था नहीं वह भी मेरा इंतजार करते रहते थे। जब मैं उनके पास पहुंचते वह अपनी बाहों में ले लेते पहले खूब चुम्मा लेते फिर मेरी चुचियों को दबाते फिर मुझे अपने साथ सुला कर अपना टांग मेरे ऊपर चढ़ा कर मेरे से बातें करते रहते हैं। फिर मुझे चोदते। रोजाना का ही मेरा काम था दोपहर पूरा वह चोदते रहते थे मुझे, दिन भर में मुश्किल से में दो घंटे काम करते थे और 8 घंटे मजा करते थे उनके साथ।

छह महीने बाद उनकी बीवी आ गई छह महीने तक तो मैंने खूब मजे की। पर डेढ़ साल लुकाछिपी करके वह मुझे चोदते थे। जब कभी उनकी वाइफ बाहर जाती थी या कभी सर मुझे बाहर ले जाते थे। पर दोस्तों बहुत मजा आया वह दो साल। अब मेरे पापा का तबादला फिर से दूसरी ओर हो गया है और मैं वहां आ गई हूं अब मिलना नहीं हो रहा है मैं तड़प रही हूं उनकी यादों में। पर पापा कह रहे हैं फिर से वही चलेंगे क्योंकि वह कंपनी वाला बुला रहा है अब देखिए क्या होता है अगर मैं गई तो फिर से अपनी चुदाई करवाउंगी उनसे.

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