Mama Ki Jawan Beti Ki Chudai

मामा की जवान बेटी के साथ सेक्स किया

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मुंबई के समुद्र तट पर अपने मामा की जवान बेटी के साथ मैंने का मजा लिया. मैं पहले भी उसे चोद चुका था. हमने इस बार बीच पर चुदाई की.

आपने मेरे लेख में पढ़ा कि मैंने अपने मामा की बेटी रश्मिका के साथ शादी की थी.

आगे की घटना लिखने में मेरी व्यस्तता के कारण कुछ अधिक समय लग गया.

आपने मेरी पहली कहानी को पढ़कर जो टिप्पणी की, उसके लिए धन्यवाद.
चलिए शुरू करते हैं उस कहानी से, जिसमें हम दोनों ने अपने हनीमून पर सिस्टर के साथ सेक्स किया.

मैं दो दिनों तक दिल्ली में अपनी मामा के घर में रुका था, जहां मैंने अपनी बहन को कई बार चुदाई की थी.
तब मैं अपने घर आ गया.

यह घटना हुई लगभग छह महीने बाद, मेरी माता ने मुझे फोन किया और बताया कि रश्मिका को एक परीक्षा देने के लिए मुंबई जाना था. मुझे दिल्ली में रहना पड़ेगा क्योंकि मेरे पास जरूरी काम है. अगर आप 3 से 4 दिन के लिए फ्री हैं, तो इसे मुंबई ले जाओ.

इतना सब सुनने के बाद मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं.
रश्मिका के नंगे बदन को याद करके मुझे लगता था कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया.

कुछ देर बाद मैंने खुद को सभालते हुए मामा को कहा कि मैं आजाद हूँ और उसे लेकर चला जाऊंगा.
मामा ने हम दोनों को राजधानी का टिकट दिलाया.

15 दिन बाद मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा.
उधर से मामा उसे छोड़ने आई थीं.

उस दिन सुहागरात मनाने के बाद मैंने रश्मिका को देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं.

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उस दिन की चुदाई ने उसकी बूब्स को पहले से कुछ बड़ा दिखाया.
सामने से मैंने देखा कि शायद उसकी गांड भी बढ़ गई हो.


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उसने एक साधारण लड़की की तरह सलवार और सूट पहना था.
हम दोनों ट्रेन में चढ़ गए और अपनी जगह खोजने लगे. एक सीट बीच में थी, और दूसरी ऊपर वाली बर्थ पर थी.

अब लगभग पांच बजे हो गए थे, जबकि ट्रेन 5:30 का समय था. जिससे बीच वाली बर्थ पर बैठना या लेटना अभी संभव नहीं था.
हम दोनों ही बाकी सवारियों के साथ नीचे बैठ गए.

हम भाई बहन हैं किसी को नहीं पता था, इसलिए हम वहां पूरी तरह से खुल सकते थे.
रश्मिका के चेहरे पर अजीब भाव थे और वह बीच-बीच में शर्माती रहती थी, इसलिए शायद वह उस रात की यादों में खो गई थी. इसलिए बाकी सवारियां हमें पति-पत्नी मानती थीं.

रात होने पर हम दोनों ऊपर की बर्थ पर बैठकर खाना खाकर वहीं लेट गये.
दोनों के शरीर एक दूसरे से दूर थे क्योंकि सीट की चौड़ाई कम थी.

जब मैंने उसके सलवार में हाथ डाला, मुझे लगा कि उसकी पैंटी गीली थी.
मैंने धीरे-धीरे उसके कान में पूछा, तो उसने शांत आवाज में कहा, “जब से मैंने आपको देखा है, तब से मेरे मन में सिर्फ सुहागरात की बातें घूम रही हैं.”

उसने मेरे लंड को भी पकड़ लिया और मेरे लोवर में हाथ डाला.
सभी लोग सोने तक हम ऐसे ही मस्ती करते रहे.

सबके सोने के बाद मैंने अपना लोवर निकालकर लंड उसकी चूत पर रखा.

कोई देख ना ले, भैया, उसने धीरे से कहा.
तब मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा क्योंकि सभी हमें पति पत्नी मानते हैं.

इसके बाद वह भी मजे लेने लगी.
मैंने ट्रेन के दौरान ही उसकी चूत में अपना लंड डालकर पूरी तरह से मजा लिया.
यहां हम बहुत कुछ नहीं कर सकते थे.

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सुहागरात में कुंवारी बीवी को बनाया सुहागन

मुंबई पहुँचने पर मैंने एक होटल में कमरा बुला लिया, जहां हम दोनों ने तीन दिन तक काफी मनोरंजन किया.

मुंबई में कोई जानकार नहीं था... हमने दादर के एक होटल में तीन दिन के लिए एक कमरा ले लिया.

हमारे लिए कमरे में एक बैड काफी था.

उस दिन हमें कोई काम नहीं था, तो हमने दोपहर के भोजन के बाद घूमने का कार्यक्रम बनाया.

हम चार बजे दादर से एक ट्रेन से अक्षा बीच पहुंचे.
हम भाई बहन के रूप में नहीं बल्कि पति पत्नी के रूप में वहां थे, इसलिए हमें शर्म या घृणा नहीं हुई.

बीच पर घूमते हुए हम एक छोटे से साइड में चले गए जहां लोगों की बहुतायत नहीं थी.
हमने अपने कपड़े उतारे और खुले पानी में नहाने लगे.

उस समय रश्मिका ने काले रंग की पैंटी और लाल ब्रा पहनी हुई थी, और मैं सिर्फ अंडरवियर पहना हुआ था.
वह अभी किसी मॉडल से कम नहीं लगती थी.

उसका लंबा, पतला शरीर किसी का भी सामान खड़ा कर सकता है.
मैं भी उसे देखकर बेहोश हो गया.

रश्मिका ने सेक्स विद सिस्टर के ख्याल से मेरा लंड अंडरवियर फाड़ने को तैयार देखा.
वह पानी के भीतर मेरी गोद में बैठ गई.

वह बिल्कुल टाइट था, इसलिए मेरा लंड दर्द करने लगा.

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मैंने उसे अपने लंड को अंडरवियर से निकालकर थोड़ा ऊपर उठने को कहा.
मैं पानी में बैठा था, इसलिए वह कुछ नहीं जानता था.

उसने उसकी पैंटी भी नीचे कर दी और उसे अपनी गोद में बैठा लिया.
वह मेरे लंड को अपनी गांड में महसूस करके खुश होकर झूम उठी.

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मैंने उसका मुंह अपनी तरफ करके गोद में बिठा लिया और पानी के अंदर ही उसकी पैंटी पूरी तरह निकाल दी.
रश्मिका की चूत के छेद में मेरा लंड लग गया.

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“भैया, लोग देख रहे हैं,” वह धीरे-धीरे मेरे कान में कहा.

मैंने कहा, “देखने दो...” सबको मजे लेने देना चाहिए. ये सब होगा ही क्योंकि हम हनीमून पर हैं.

अब मैंने उसे थोड़ा ऊपर उठा कर फिर से गोद में बैठाया, जिससे रश्मिका को कुछ दर्द हुआ.

बीच सेक्स की मस्ती में होने के कारण उसने कुछ नहीं कहा.
ऐसे ही पानी में अपने लंड और चूत की प्यास बुझाने लगा.

बीच-बीच में मैं उसकी गोल-गोल बूब्स को ब्रा से निकालकर चूसने लगा.

रश्मिका की चूत से पानी निकलते ही चुदाई का खेल खत्म हो गया.
मैंने इसलिए उसको उठाकर पास में बैठा दिया.

बाद में मैंने उसके हाथ में अपना लंड डालकर उसे हिलाकर मेरा भी पानी निकाल दिया.

रश्मिका को चुदाई करने के बाद हम पानी से बाहर आ गए, कपड़े पहने और थोड़ी देर घूमकर अपने कमरे में आ गए.

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