मेरी सुहागरात में ग्रुप चुदाई हो गई
शादी की रस्में खत्म होने के बाद, सुहागरात की रात थी। हवेली का एक बड़ा सा कमरा फूलों से सजा था, और बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखरी थीं। नन्दिनी ने लाल जोड़ा पहना था, जिसका गहना और मेकअप उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहा था। शेर सिंह ने कमरे में प्रवेश किया, और उसकी नज़रें नन्दिनी की चूचियों पर टिक गईं। “नन्दिनी, तू आज बहुत हॉट लग रही है,” शेर सिंह ने फुसफुसाया, और उसका लंड तुरंत तन गया। नन्दिनी ने अपने होंठ चाटे और जवाब दिया, “शेर सिंह, मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए बेकरार है।” उसकी बात ने माहौल को और गर्म कर दिया।
शेर सिंह ने नन्दिनी को अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों को चूम लिया, पहले धीरे, फिर गहराई से, उसकी जीभ को चूसते हुए। नन्दिनी की चूत में एक सिहरन दौड़ गई, और उसने शेर सिंह की शेरवानी में उंगलियाँ डालकर उसे और करीब खींच लिया। “तेरे होंठ कितने रसीले हैं,” शेर सिंह ने कहा, और नन्दिनी ने जवाब दिया, “तो मेरी चूत का स्वाद भी ले लो।” शेर सिंह ने नन्दिनी का लहँगा ऊपर उठाया और उसकी काली ब्रा में कैद चूचियाँ देखकर उसका लंड शेरवानी में उछलने लगा। उसने ब्रा का हुक खोला, और नन्दिनी के भारी बूब्स आज़ाद हो गए।
शेर सिंह ने नन्दिनी की चूचियाँ कस के दबाईं, उनके निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा। “तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं,” उसने कराहते हुए कहा, और नन्दिनी की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगीं। उसने अपनी जांघें चौड़ी कीं, और शेर सिंह ने उसके लहँगे के नीचे से उसकी चूत को सहलाया, जो पहले ही गीली हो चुकी थी। “तेरी चूत कितनी गर्म है,” शेर सिंह ने कहा, और नन्दिनी ने सिसकते हुए जवाब दिया, “तो अपने लंड से इसे और गर्म कर दे।” शेर सिंह ने नन्दिनी का लहँगा और पैंटी उतार दी, और उसकी टाइट चूत को देखकर उसका लंड और बेकरार हो गया।
कमसिन चूत की गर्मी को मोटे लंड से शांत किया
शेर सिंह ने अपनी शेरवानी उतारी, और उसका मोटा लंड बाहर आया। “वाह, तेरा लंड तो बहुत मोटा है,” नन्दिनी ने सेक्सी अंदाज़ में कहा, और उसे अपने हाथों में लेकर सहलाया। उसने शेर सिंह के लंड को अपने होंठों से चूमा, फिर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। शेर सिंह की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने नन्दिनी के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। नन्दिनी की जीभ उसके लंड पर नाच रही थी, और उसकी चूत में चुदाई की प्यास बढ़ रही थी। शेर सिंह ने नन्दिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी जांघें चौड़ी कीं।
शेर सिंह ने अपने लंड को नन्दिनी की चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाल दिया। नन्दिनी की एक हल्की सी चीख निकली, क्योंकि शेर सिंह का लंड उसकी टाइट चूत को पूरा भर रहा था। “आह, शेर सिंह, धीरे,” नन्दिनी ने सिसकते हुए कहा, लेकिन शेर सिंह ने उसकी कमर पकड़कर और ज़ोर से धक्का मारा। “सुहागरात में मज़ा ले, मेरी जान,” उसने कहा, और चुदाई शुरू कर दी। हर धक्के के साथ नन्दिनी की चूचियाँ उछल रही थीं, और उसकी सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं। शेर सिंह का लंड उसकी चूत की गहराई को छू रहा था, और नन्दिनी की गांड हर धक्के के साथ बिस्तर पर रगड़ रही थी।
तभी कमरे का दरवाज़ा खुला, और शेर सिंह का बड़ा भाई, विक्रम सिंह, 32 साल का, मज़बूत जिस्म और गहरी आवाज़ वाला मर्द, अंदर आया। उसने नन्दिनी की नंगी चूचियाँ और चुदाई देखकर अपना लंड पकड़ लिया। “भाभी, सुहागरात में हमें भी शामिल कर लो,” विक्रम सिंह ने हँसते हुए कहा। नन्दिनी पहले तो चौंकी, लेकिन उसकी चूत की भूख ने उसे बोल्ड बना दिया। “आ जा, मेरी चूत और गांड दोनों तैयार हैं,” उसने सेक्सी मुस्कान के साथ कहा। शेर सिंह ने हँसते हुए विक्रम सिंह को पास बुलाया, और दोनों ने नन्दिनी को अपनी भूख का शिकार बनाया।
विक्रम सिंह ने नन्दिनी की गांड को कस के पकड़ा और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी मस्त है, भाभी,” उसने कहा, और अपनी उंगलियाँ नन्दिनी की गांड के छेद पर फेरी। उसने धीरे से अपनी उंगली अंदर डाली, और नन्दिनी की सिसकी और तेज़ हो गई। “मेरी गांड भी चोद,” उसने कराहते हुए कहा। शेर सिंह ने नन्दिनी की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, जबकि विक्रम सिंह ने अपने लंड को नन्दिनी की गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। नन्दिनी की एक ज़ोरदार चीख निकली, क्योंकि विक्रम सिंह का लंड उसकी गांड को दर्द दे रहा था। “आह, धीरे,” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन विक्रम सिंह ने और ज़ोर से धक्का मारा।
नन्दिनी के जिस्म में दो लंड एक साथ थे—शेर सिंह का लंड उसकी चूत चोद रहा था, और विक्रम सिंह का लंड उसकी गांड। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसने दोनों को कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” नन्दिनी ने सिसकते हुए कहा, दर्द और मज़े के बीच झूलते हुए। शेर सिंह ने नन्दिनी के होंठों को फिर से चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, जबकि विक्रम सिंह ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उन्हें चूसा। नन्दिनी का जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था, और उसकी सुहागरात अब ग्रुप चुदाई में बदल चुकी थी।
तभी शेर सिंह का कज़िन, मेघसिंह, 30 साल का, अनुभवी और मज़बूत मर्द, कमरे में आया। उसने नन्दिनी की चुदाई देखकर अपना मोटा लंड पकड़ लिया। “भाभी, सुहागरात का मज़ा हमें भी दे दो,” उसने गहरी आवाज़ में कहा। नन्दिनी ने उसे एक सेक्सी नज़र दी और कहा, “मेघसिंह, मेरे बूब्स और मुँह बाकी हैं।” मेघसिंह ने अपनी पैंट उतारी और अपना मोटा लंड नन्दिनी के मुँह में डाल दिया। नन्दिनी ने उसे चूसना शुरू किया, उसकी जीभ से उसके मोटे लंड को सहलाते हुए। मेघसिंह की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने नन्दिनी के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा।
शेर सिंह अब नन्दिनी की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था, उसका लंड हर धक्के में उसकी चूत की गहराई को छू रहा था। विक्रम सिंह ने उसकी गांड में अपने लंड को और गहरे तक धकेला, और नन्दिनी की सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। मेघसिंह ने नन्दिनी के मुँह में अपने मोटे लंड को और तेज़ी से चलाया, और नन्दिनी ने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा मोटा लंड कितना अच्छा लग रहा है,” मेघसिंह ने कराहते हुए कहा। नन्दिनी का जिस्म तीन मर्दों की भूख का शिकार बन चुका था, और उसकी सुहागरात पूरी तरह ग्रुप चुदाई में तब्दील हो चुकी थी।
चुदाई का ये खेल घंटों चला। नन्दिनी की चूत, गांड, और मुँह तीनों मर्दों के लंड से भरे थे। शेर सिंह ने नन्दिनी की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार उसकी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी। विक्रम सिंह ने उसकी गांड को चोदते हुए अपने लंड का रस उसकी गांड में छोड़ा। मेघसिंह ने नन्दिनी के मुँह से अपना मोटा लंड निकाला और उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। नन्दिनी का जिस्म पसीने, चुदाई, और तृप्ति से गीला था, और उसकी सुहागरात का मज़ा अब पूरी तरह बदल चुका था।
रात के आखिरी पहर में नन्दिनी ने तीनों को एक सेक्सी मुस्कान दी और फुसफुसाया, “शेर सिंह, तुमने और तुम्हारे भाइयों ने मेरी सुहागरात को ग्रुप चुदाई में बदल दिया। मेरी चूत और गांड तुम्हें हमेशा याद करेंगी।” शेर सिंह, विक्रम सिंह, और मेघसिंह ने उसे अपनी बाहों में लिया, और हवेली की सजावट के बीच उनकी चुदाई की गर्मी सुबह तक बाकी थी। नन्दिनी ने हँसते हुए कहा, “शेर सिंह, ये सुहागरात तो बस शुरुआत है, मैं और चुदना चाहूँगी।”
सुबह होने पर नन्दिनी ने अपने जिस्म पर चुदाई के निशान देखे—हल्के लाल निशान उसकी चूचियों और गांड पर थे, जो उसकी सुहागरात की ग्रुप चुदाई की कहानी कह रहे थे। उसने शेर सिंह को एक शरारती मुस्कान दी और चुपके से कहा, “शेर सिंह, अगली बार और मज़ा देना।” शेर सिंह ने हँसकर उसकी कमर दबा दी, और नन्दिनी की कामवासना फिर से जाग उठी।
नन्दिनी की सुहागरात अब गाँव में एक चर्चा का विषय बन चुकी थी, लेकिन वो इसे अपनी ज़िंदगी का सबसे हॉट अनुभव मानती थी। उसने शेर सिंह के साथ अपनी नई ज़िंदगी शुरू की, लेकिन उसकी चूत और गांड हमेशा उस रात की ग्रुप चुदाई को याद करती थी।