रिक्शे वाले ने बारिश में मोटे लंड से चोदा
हेल्लो दोस्तों.. में 21 साल की पंजाबी लड़की प्रिया शर्मा हूँ और दिल्ली के कॉलेज में पढ़ रही हूँ। मेरा फिगर 37-27-39 है और हाईट 5 फुट 9 इंच है.. मेरी आँखे और बाल काले हैं और में गोरी हूँ.. नाक पतली और छोटी है ठुड्डी राउंड है और फेस डायमंड शेप है.. होंठ पतले हैं और चेहरा भरा हुआ है। बात अभी कुछ ही दिन पहले की है.. जुलाई का आखरी था और बारिश कभी कभी हल्की हो रही थी.. में अपने होस्टल के रूम में बिस्तर पर बैठी हुई अपने फोन पर पॉर्न मूवी देख रही थी.. अचानक ही मेरी एक फ्रेंड का फोन आया.. जो कि अपने घर गयी हुई थी।
नयना : हेल्लो प्रिया ।
में : हाय नयना कैसी है और कब आ रही है वापस?
नयना : अरे यार यहां बस स्टैंड पर खड़ी हूँ.. मुझे पुलिस स्टेशन में काम है अर्जेंट और मेरे पास काफ़ी सामान है.. तू आजा साथ में डिनर करके चलेंगे मार्केट से।
में : ओह.. ओके में अभी आती हूँ.. सब ठीक तो है ना?
नयना : मेरा सेलफोन चोरी हो गया.. मुझे रिपोर्ट करनी है अभी।
में : फिर चोरी हो गया.. तू करती क्या है? बड़ी लापरवाह है और रिपोर्ट बाद में करा लेना।
नयना : अरे यार अभी ट्रैक हो जाए तो अच्छा है.. बाद में कोई कुछ नहीं करता।
में : ओके डार्लिंग टेन्शन मत ले.. में आती हूँ। फिर में जल्दी में तैयार हुई और बिना ब्रा के ही एक पीला टॉप और नीली जींस डाल ली। होस्टल के बाहर से रिक्शा पकड़ा जो कि ऊपर से खुला था.. ध्यान ही नहीं रहा कि बारिश हुई तो सब भीग जायेगा। बस स्टेण्ड करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर था और जो रास्ता है वो काफ़ी सुनसान सा है और बारिश के टाइम वहाँ और भी कम ट्राफिक होता है। रास्ते में जो डर था वही हुआ.. बारिश शुरू हो गई और में भीगने लगी.. खेर इतनी तेज़ बारिश नहीं थी.. इसलिये मैंने रिक्शा नहीं रुकवाया.. पर कुछ ही सेकेंड में बहुत तेज़ बारिश होने लगी।
मैंने रिक्शे वाले भैया को साईड में पेड़ के नीचे रुकने को कहा.. में जल्दी से रिक्शे से कूदकर पेड़ के नीचे भागी और रिक्शे वाले को मैंने पैसे भी नहीं दिए थे.. इसलिए वो रुक गया और अपनी सीट पर ही बैठे बैठे घूरने लगा।
रिक्शा वाला : मेडम थोड़ी ही दूर है.. वहां जाकर खड़ी हो जाना।
में : अरे दिख नहीं रहा भैया.. में भीग गई हूँ। एक तो छत नहीं है तुम्हारे रिक्शे में और ऊपर से भीगा दोगे.. रिक्शा वाला मुझे घूरे जा रहा था.. तभी अचानक से मुझे ध्यान आया.. हे भगवान मैंने ब्रा नहीं पहनी है और मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां साफ चमक रही है और बाहर गीली टीशर्ट से तो अंदर का सब दिख रहा था क्लियर.. ऊपर से बारिश की ठंडी ठंडी बूंदे जिनकी वजह से मेरे निप्पल कड़क हो गये थे। रिक्शे वाले ने रिक्शा साईड में लगाया और मेरे पास आकर खड़ा हो गया.. मुझे जैसे ही ध्यान आया तो मैंने अपने हाथ फोल्ड कर लिए और नीचे सिर करके खड़ी हो गयी। शोर्ट टीशर्ट पहनी थी.. जिससे मेरे हाथों में हल्की हल्की ठंड लग रही थी और जिससे में काँपने लगी। में फोन पर पॉर्न देखने के बारे में सोचने लगी और मेरे दिमाग़ में अजीब अजीब ख्याल आने लगे.. इतने में नयना का फोन आ गया.. तू कहां है प्रिया .. में वेट कर रही हूँ।
में : अरे यार ऑटो नहीं मिला.. तो रिक्शे से आ रही थी और रिक्शे में छत ही नहीं है.. पेड़ के नीचे खड़ी हूँ अभी।
नयना : अरे यार।
में : तू बाद में रिपोर्ट करवा लेना। फिर फोन तो मिलेगा नहीं।
नयना : क्या पता मिल जाये।
में : अच्छा ठीक है बारिश कम होते ही आ रही हूँ। में फोन पर बात करते टाइम अपने हाथ नीचे कर चुकी थी.. जिससे रिक्शे वाले को खूब मज़ा आ रहा था.. वो मेरे साईड में खड़ा होकर मेरे उभारों को देखे जा रहा था। फिर वो बात करने की कोशिश करने लगा।
रिक्शे वाला : मेडम मौसम तो बढ़िया हो गया है.. अब मैंने सोचा कि ठीक है.. बातें करूँगी तो यह यहीं रहेगा और भागेगा नहीं.. तो में भी बातें करने लगी।
में : हाँ भैया कम से कम गर्मी तो कम होगी।
रिक्शे वाला : पर आप लेट हो गई बारिश में।
में : अब क्या करें.. किसी का फायदा तो किसी का नुकसान.. वेसे मुझे बारिश से कोई शिकायत नहीं है।
रिक्शे वाला : आप यू.पी से है?
में : नहीं में पंजाब से हूँ.. आप शायद यू.पी से हो.. रिक्शे वाला मुस्कुराने लगा।
रिक्शे वाला : मेडम आपका नाम क्या है? मुझे अजीब लगा कि ये क्या चाहता है जो नाम पूछ रहा है।
में : नाम का क्या करोगे?
रिक्शे वाला : मेरा नाम दुष्यन्त है.. ऐसे ही मेडम परिचय के लिये।
में : हाँ हाँ हाँ.. आप तो मुझे पढ़े लिखे लगते हो।
दुष्यन्त : हाँ मैने बी.ए किया है और में तो मजबूरी में रिक्शा चला रहा हूँ।
में : ओह।
दुष्यन्त : आप क्या करती है? मतलब क्या पढ़ रही है।
में : अरे वो जो कॉलेज था ना.. जहाँ आप खड़े थे.. वहां पढ़ती हूँ।
दुष्यन्त : अरे याद आया.. मैंने आपको कई बार आते जाते देखा है। दुष्यन्त थोड़ा पास आ गया.. मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा.. एक तो दिमाग़ मे पॉर्न मूवी चल रही थी.. जिसे देखकर में उंगली कर रही थी.. ऊपर से टीशर्ट में खड़ी निपल्स। दुष्यन्त बड़ा ही हंसमुख आदमी था.. मुझसे हाईट में कुछ छोटा और पतला सा था.. मुँह काफी पतला था और करीब 35--36 के आस पास उम्र होगी.. उसकी दाढ़ी हल्की सी थी.. दो तीन मिनिट तक तो वो खुद ही बोलता रहा। मेरे मन में अब लंड घूम रहा था.. मोटा सा लंड अपनी चूत में लेने की इच्छा हो रही थी।
jamidar ne karz ke liye bahan ko choda
फिर मेरे दिमाग़ में आया कि क्यों ना में दुष्यन्त के साथ ही कुछ शरारत करूँ.. मैंने अपने दोनों हाथ कमर पर रख लिए और फिर एक हाथ से टीशर्ट को बाहर की तरफ खींचा.. खींचते ही टीशर्ट से चिपके हुये मेरे गोल गोल मोटे चूचे अलग हो गये.. दुष्यन्त बड़े ध्यान से देख रहा था और उसका मुँह शुरू से ही मेरी तरफ था।
में : अच्छा तो आप मुझे देखते क्यों थे?
दुष्यन्त : अरे मेडम इतनी खूबसूरत हो.. नज़र तो टिकेगी ही.. में अकेला थोड़ी हूँ.. आप के कॉलेज के लड़के भी तो देखते है।
में : तो क्या? बताओ।
दुष्यन्त : वही तो इशारे से पूछते थे कि अच्छा लगा।
में : ओह ऐसा है क्या? अच्छा तो फिर आप क्या कहते थे।
दुष्यन्त : सच ही कहा था मेडम।
में : क्या कहते थे.. मैंने अपनी आँखें बड़ी की और सीधा दुष्यन्त की आँखों में बड़े प्यार से देखा।
दुष्यन्त : यही कि बड़ा मज़ा आया।
में : ह्म्म्म्म देख के मज़ा आता है?
दुष्यन्त : और नहीं तो क्या मेडम।
में : मेडम मत कहो.. प्लीज़ मेरा नाम प्रिया है.. बड़ा अजीब लगता है अपने से बड़े लोगों से मेडम सुनना।
दुष्यन्त : ठीक है प्रिया जी.. में सोच रही थी कि मर्द बड़ा रेस्पेक्ट देते है.. जब तक लड़की पट नहीं जाती.. लेकिन जब एक बार चोद लेते है.. तो रेस्पेक्ट को हमारी गांड मे डाल देते है। मुझे ये सोचकर हंसी आ गई कि अभी जब इसे चूत दे दूँगी.. तो फिर जी वी सब गायब हो जायेगा।
दुष्यन्त : क्या हुआ प्रिया जी।
में : यही सोच रही थी कि आपको क्या मज़ा आता होगा.. दुष्यन्त भी इशारे पकड़ रहा था अब।
दुष्यन्त : आपको पता है क्या?
में : हाँ आजकल तो सब को पता होता है और में मुस्कुराकर अपनी छाती बाहर निकाल कर नीचे देखने लगी। मेरी चूचियां फिर गीली टीशर्ट पर चिपक गयी थी.. अब दुष्यन्त का लंड भी पेंट का शेप बिगाड़ रहा था।
में : आपकी शादी हो गई होगी।
दुष्यन्त : हाँ.. अब दुष्यन्त की आँखें मेरे छाती पर टिकी थी और वो मुझसे एक हाथ की दूरी पर था।
में : फिर भी आप जवान लड़कियों को देखकर मज़े लेते हो?
दुष्यन्त : जितनी टाईट होती है ना उतना मज़ा आता है देखने में भी और इतना कहकर ही उसने अपना एक हाथ मेरे लेफ्ट स्तन पर रख दिया और हॉर्न की तरह ज़ोर से दो तीन बार दबा दिया।
में : आह.. ये क्या कर रहे हो आप?
दुष्यन्त : ड्रामा तो खूब कर लेती हो प्रिया बेवकूफ़ समझती हो क्या? कब से लाइन दे रही हो।
में : में तो नॉर्मल ही बात कर रही थी और मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया.. में भी मज़े ले रही थी।
दुष्यन्त : साली .. नोर्मल बातें सभी के लंड भी ले लेती होगी। फिर तो वो और मेरे उपर झपटा और मेरे बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ लिया। फिर कसकर होर्न बजाने लगा और आटे की तरह गूँथने लगा। मेरे हाथ उसके हाथों पर थे.. मेरी चूत अचानक ही उफन पड़ी और खूब सारा जूस बहने लगा। में शाम के उजाले में खुले रोड़ पर साईड में एक रिक्शे वाले से अपने बूब्स दबवा रही थी.. ये सोचकर मुझे और जोश आ गया.. अब में मोन कर रही थी।
में : म्म्म्ममस्सस्स।
दुष्यन्त : साली मज़ा आने लगा। आ गयी तू लाइन पर.. ये कहकर उसने टीशर्ट के उपर से ही मेरे बूब्स के बीच मुँह रगड़ दिया।
दुष्यन्त : ब्ब्ब्बररररराआाहह। फिर मेरी पिचकारी छूट पड़ी।
दुष्यन्त : पसंद आ रही है साली रंडी।
में : ओह हाँ... पर यहाँ कोई देख लेगा.. कहीं और चलो।
दुष्यन्त : देख लेगा तो क्या? वेसे भी यहाँ कई रंडियां चुदती है कोई कुछ नहीं कहता।
में : अरे पर में रंडी थोड़ी ही हूँ।
दुष्यन्त : जो भी हो.. तू माल तो अच्छा है। उसने मेरी टीशर्ट उपर की और अपना मुँह जितना खुल सके.. उतना खोलकर मेरे सीधे वाले बूब्स पर चिपका दिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.. लग रहा था कि आज तो दूध ही निकल आयेगा। चूसते चूसते उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ पर दबा दिए और जानवरों की तरह दबाने लगा।
में : प्लीज़.. साईड में चलो.. में मना थोड़ी कर रही हूँ.. जो चाहो कर लेना लेकिन उस झाड़ी के पीछे चलो।
फिर दुष्यन्त मुझे झाड़ी के पीछे ले गया.. मुझे पीछे से दबोच कर जिससे कि उसका लंड मेरी गांड मे चुभ रहा था। झाड़ी के पीछे आते ही उसने मेरी टीशर्ट निकालकर साईड में फेंक दी।
में : अरे क्या कर रहे हो.. मुझे जाना भी है कही गंदा मत करो। दुष्यन्त मेरे बूब्स पर चींटे की तरह मुँह लगाकर चिपका हुआ था और ऐसे ही में टीशर्ट उठाने लगी। फिर बड़ी मुश्किल से टीशर्ट उठाकर साईड में रखी.. अब में ऊपर से नंगी थी और मेरा एक बूब्स दुष्यन्त खा रहा था और एक लटक रहा था। मुझे अंदाज़ा हो गया कि ये बड़ा भूखा है.. आज तो हालत ख़राब कर देगा। फिर मैंने सोचा जल्दी ख़त्म करते है.. मैंने झट से अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और उतारकर साईड में रख दी.. दुष्यन्त खड़ा होकर खुशी से देखने लगा।
दुष्यन्त : अपनी ठुकाई की तैयारी खुद ही कर रही है।
में : हाँ.. नहीं तो तुम तो सारा दिन बूब्स ही चूसते रहोगे.. और मैंने दोनों बूब्स को पकड़कर हिला दिया और फिर झट से पेंटी उतारी और ज़मीन पर ही कुत्तिया बन गई। मुझे लगा कि दुष्यन्त अपना लंड डालेगा.. देसी आदमी वेसे भी सिर्फ़ चुदाई ही जानते है.. मुझे लगा पर वो भूखे शेर की तरह मेरी चूत पर मुँह लगाकर जूस चूसने लगा.. मेरी चीख निकल गयी.. सुनने वालों ने कई दूर से सुन ली होगी.. ऐसी चीख थी।
में : क्या कर रहे हो.. खा ही जाओगे क्या?
दुष्यन्त : इतनी सुन्दर चूत है तेरी.. खानी ही पड़ेगी। ऐसी चूत तो सिर्फ़ विदेशी फ़िल्मो में देखी है।
में : तुम्हे पसंद आई?
दुष्यन्त : दिखाता हूँ कितनी पसंद आई। उसने फिर एक थप्पड़ घुमाकर मेरी चूत पर मारा और में एकदम से उछल गई।
में : आअहह.. जानवर ही हो क्या?
दुष्यन्त : शेर हूँ शेर।
में : शेर का तो लंड छोटा होता है.. काफ़ी बड़ा तो गधे का होता है और में हंस पड़ी। दुष्यन्त ने मुझे बाल पकड़कर उठाया.. शायद वो समझ चुका था कि मुझे काबू करना आसान है और में ज़्यादा कहूँगी नहीं.. मुझे उसने घुटनो के बल बैठाया और अपना पेंट खोल दिया। उसका लंड ज़्यादा बड़ा नहीं था.. पर उसकी हेल्थ के हिसाब से काफ़ी ज़्यादा मोटा था।
में : वाउ.. ये तो काफ़ी मोटा है..
इतना बोलते ही उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और ज़ोर ज़ोर से चूत की तरह चोदने लगा.. लंड मेरे गले तक घुस रहा था.. वो चोदे जा रहा था.. मेरा चिपचिपा थूक निकलकर लंड पर लग गया। जिससे कि वो और चिकना हो गया और सरर सररर मुँह में अंदर बाहर होने लगा। में मुँह साईड में करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसने मुझे कसकर बालों से पकड़ा हुआ था.. पर आख़िर में मुँह साईड में करने में कामयाब हो गई और वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरे गले की जगह वो मेरे गाल को अपने मोटे लंड से चोद रहा था.. गाल ऐसा लग रहा था कि फट ही जायेगा.. उसने खूब मुँह को चोदा। फिर जल्दी से मुझे मोड़ा और फिर से कुत्तिया बना दिया और ज़ोर से मेरी बाल -- रहित चूत की फंको को खोल कर अपने लंड का सुपाडा फस कर एक धक्का मार दिया।
दुष्यन्त : साली रांड़ कितनो से चुदवा चुकी है.. चूत तो खुली है तेरी.. पर काफ़ी टाईट है ।
में : आअहह ऊऊ.. मेरे बॉयफ्रेंड से ही बस।
दुष्यन्त : मेरा लंड केसा लगा तुझे।
में : मज़ेदार आआआअहह है काफी मस्त है लंड तुम्हारा.. पर थोड़ा और लंबा होता तो और गहरा उतर जाता.. हहस्सस्स।
दुष्यन्त : गहरे का क्या है? ये देख.. दुष्यन्त ने मेरी चूतड़ पर थप्पड़ मारा और पूरी जान लगाकर अपनी कमर हिलाने लगा.. लग रहा था कि लंड नहीं खंजर हो.. जो मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा है। इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊँ.. में वहां पड़े पड़े ही मज़े ले रही थी.. इतने में फोन बज पड़ा।
नयना : ओये कहां है तू?
में : यहीं हूँ।
नयना : बारिश तो कब की बंद हो गयी.. कब आयेगी।
में : अरे बस निकल रही हूँ।
दुष्यन्त : भोसड़ी की कौन है ये जो चुदाई में बाधा डाल रही है। मैंने पीछे मुड़कर इशारा किया चुप होने का.. दुष्यन्त मेरी पीठ से चिपक गया और मेरे उपर लगभग लेट गया और चोदना चालू रखा।
नयना : अरे यार तेरे चक्कर में कब से खड़ी हूँ.. तू अब जल्दी आजा।
में : बस पहुँच रही हूँ.. उऊऊइीईईई।
नयना : ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ.. दुष्यन्त धीरे से मज़े लेता हुआ कहता है.. चूत चुद रही है रंडी की।
में : उउंम्म रोड़ पर गड्डे है यार काफी.. रिक्शे वाले धीरे चलाओ.. उउउइई माँआआ।
नयना : कौन से रास्ते से आ रही है तू.. खेर जल्दी आजा।
में : ठीक है।
में : फिर बच गई.. दुष्यन्त अब खूब तेज़ झटके मार रहा था। उसका मोटा पठानी लंड मेरी चूत के होंठो से चिपका हुआ जोर जोर से अंदर बहार हो रहा था उसने अपनी दोनों हथेली मेरी पीठ पर रखी.. हाथ सीधे किए और ज़मीन पर सिर्फ़ उसके पंजे थे.. जैसे मेरी पीठ को दबा रहा हो और फिर वो हथेली और पंजो के सहारे ही बेलेंस बनाकर जोरदार झटके मारने लगा। उसके झटके तेज़ हो रहे थे.. में समझ गई कि इसका निकलने वाला है.. में एकदम से आगे हुई और उसका लंड बाहर आ गया.. पर वो झटका मार रहा था और इसलिये बाहर आते ही लंड मेरी गांड के छेद में ज़ोर से लगा।
फिर मेरे दिमाग़ में आया कि क्यों ना में दुष्यन्त के साथ ही कुछ शरारत करूँ.. मैंने अपने दोनों हाथ कमर पर रख लिए और फिर एक हाथ से टीशर्ट को बाहर की तरफ खींचा.. खींचते ही टीशर्ट से चिपके हुये मेरे गोल गोल मोटे चूचे अलग हो गये.. दुष्यन्त बड़े ध्यान से देख रहा था और उसका मुँह शुरू से ही मेरी तरफ था।
में : अच्छा तो आप मुझे देखते क्यों थे?
दुष्यन्त : अरे मेडम इतनी खूबसूरत हो.. नज़र तो टिकेगी ही.. में अकेला थोड़ी हूँ.. आप के कॉलेज के लड़के भी तो देखते है।
में : तो क्या? बताओ।
दुष्यन्त : वही तो इशारे से पूछते थे कि अच्छा लगा।
में : ओह ऐसा है क्या? अच्छा तो फिर आप क्या कहते थे।
दुष्यन्त : सच ही कहा था मेडम।
में : क्या कहते थे.. मैंने अपनी आँखें बड़ी की और सीधा दुष्यन्त की आँखों में बड़े प्यार से देखा।
दुष्यन्त : यही कि बड़ा मज़ा आया।
में : ह्म्म्म्म देख के मज़ा आता है?
दुष्यन्त : और नहीं तो क्या मेडम।
में : मेडम मत कहो.. प्लीज़ मेरा नाम प्रिया है.. बड़ा अजीब लगता है अपने से बड़े लोगों से मेडम सुनना।
दुष्यन्त : ठीक है प्रिया जी.. में सोच रही थी कि मर्द बड़ा रेस्पेक्ट देते है.. जब तक लड़की पट नहीं जाती.. लेकिन जब एक बार चोद लेते है.. तो रेस्पेक्ट को हमारी गांड मे डाल देते है। मुझे ये सोचकर हंसी आ गई कि अभी जब इसे चूत दे दूँगी.. तो फिर जी वी सब गायब हो जायेगा।
दुष्यन्त : क्या हुआ प्रिया जी।
में : यही सोच रही थी कि आपको क्या मज़ा आता होगा.. दुष्यन्त भी इशारे पकड़ रहा था अब।
दुष्यन्त : आपको पता है क्या?
में : हाँ आजकल तो सब को पता होता है और में मुस्कुराकर अपनी छाती बाहर निकाल कर नीचे देखने लगी। मेरी चूचियां फिर गीली टीशर्ट पर चिपक गयी थी.. अब दुष्यन्त का लंड भी पेंट का शेप बिगाड़ रहा था।
में : आपकी शादी हो गई होगी।
दुष्यन्त : हाँ.. अब दुष्यन्त की आँखें मेरे छाती पर टिकी थी और वो मुझसे एक हाथ की दूरी पर था।
में : फिर भी आप जवान लड़कियों को देखकर मज़े लेते हो?
दुष्यन्त : जितनी टाईट होती है ना उतना मज़ा आता है देखने में भी और इतना कहकर ही उसने अपना एक हाथ मेरे लेफ्ट स्तन पर रख दिया और हॉर्न की तरह ज़ोर से दो तीन बार दबा दिया।
में : आह.. ये क्या कर रहे हो आप?
दुष्यन्त : ड्रामा तो खूब कर लेती हो प्रिया बेवकूफ़ समझती हो क्या? कब से लाइन दे रही हो।
में : में तो नॉर्मल ही बात कर रही थी और मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया.. में भी मज़े ले रही थी।
दुष्यन्त : साली .. नोर्मल बातें सभी के लंड भी ले लेती होगी। फिर तो वो और मेरे उपर झपटा और मेरे बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ लिया। फिर कसकर होर्न बजाने लगा और आटे की तरह गूँथने लगा। मेरे हाथ उसके हाथों पर थे.. मेरी चूत अचानक ही उफन पड़ी और खूब सारा जूस बहने लगा। में शाम के उजाले में खुले रोड़ पर साईड में एक रिक्शे वाले से अपने बूब्स दबवा रही थी.. ये सोचकर मुझे और जोश आ गया.. अब में मोन कर रही थी।
में : म्म्म्ममस्सस्स।
दुष्यन्त : साली मज़ा आने लगा। आ गयी तू लाइन पर.. ये कहकर उसने टीशर्ट के उपर से ही मेरे बूब्स के बीच मुँह रगड़ दिया।
दुष्यन्त : ब्ब्ब्बररररराआाहह। फिर मेरी पिचकारी छूट पड़ी।
दुष्यन्त : पसंद आ रही है साली रंडी।
में : ओह हाँ... पर यहाँ कोई देख लेगा.. कहीं और चलो।
दुष्यन्त : देख लेगा तो क्या? वेसे भी यहाँ कई रंडियां चुदती है कोई कुछ नहीं कहता।
में : अरे पर में रंडी थोड़ी ही हूँ।
दुष्यन्त : जो भी हो.. तू माल तो अच्छा है। उसने मेरी टीशर्ट उपर की और अपना मुँह जितना खुल सके.. उतना खोलकर मेरे सीधे वाले बूब्स पर चिपका दिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.. लग रहा था कि आज तो दूध ही निकल आयेगा। चूसते चूसते उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ पर दबा दिए और जानवरों की तरह दबाने लगा।
में : प्लीज़.. साईड में चलो.. में मना थोड़ी कर रही हूँ.. जो चाहो कर लेना लेकिन उस झाड़ी के पीछे चलो।
फिर दुष्यन्त मुझे झाड़ी के पीछे ले गया.. मुझे पीछे से दबोच कर जिससे कि उसका लंड मेरी गांड मे चुभ रहा था। झाड़ी के पीछे आते ही उसने मेरी टीशर्ट निकालकर साईड में फेंक दी।
में : अरे क्या कर रहे हो.. मुझे जाना भी है कही गंदा मत करो। दुष्यन्त मेरे बूब्स पर चींटे की तरह मुँह लगाकर चिपका हुआ था और ऐसे ही में टीशर्ट उठाने लगी। फिर बड़ी मुश्किल से टीशर्ट उठाकर साईड में रखी.. अब में ऊपर से नंगी थी और मेरा एक बूब्स दुष्यन्त खा रहा था और एक लटक रहा था। मुझे अंदाज़ा हो गया कि ये बड़ा भूखा है.. आज तो हालत ख़राब कर देगा। फिर मैंने सोचा जल्दी ख़त्म करते है.. मैंने झट से अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और उतारकर साईड में रख दी.. दुष्यन्त खड़ा होकर खुशी से देखने लगा।
दुष्यन्त : अपनी ठुकाई की तैयारी खुद ही कर रही है।
में : हाँ.. नहीं तो तुम तो सारा दिन बूब्स ही चूसते रहोगे.. और मैंने दोनों बूब्स को पकड़कर हिला दिया और फिर झट से पेंटी उतारी और ज़मीन पर ही कुत्तिया बन गई। मुझे लगा कि दुष्यन्त अपना लंड डालेगा.. देसी आदमी वेसे भी सिर्फ़ चुदाई ही जानते है.. मुझे लगा पर वो भूखे शेर की तरह मेरी चूत पर मुँह लगाकर जूस चूसने लगा.. मेरी चीख निकल गयी.. सुनने वालों ने कई दूर से सुन ली होगी.. ऐसी चीख थी।
में : क्या कर रहे हो.. खा ही जाओगे क्या?
दुष्यन्त : इतनी सुन्दर चूत है तेरी.. खानी ही पड़ेगी। ऐसी चूत तो सिर्फ़ विदेशी फ़िल्मो में देखी है।
में : तुम्हे पसंद आई?
दुष्यन्त : दिखाता हूँ कितनी पसंद आई। उसने फिर एक थप्पड़ घुमाकर मेरी चूत पर मारा और में एकदम से उछल गई।
में : आअहह.. जानवर ही हो क्या?
दुष्यन्त : शेर हूँ शेर।
में : शेर का तो लंड छोटा होता है.. काफ़ी बड़ा तो गधे का होता है और में हंस पड़ी। दुष्यन्त ने मुझे बाल पकड़कर उठाया.. शायद वो समझ चुका था कि मुझे काबू करना आसान है और में ज़्यादा कहूँगी नहीं.. मुझे उसने घुटनो के बल बैठाया और अपना पेंट खोल दिया। उसका लंड ज़्यादा बड़ा नहीं था.. पर उसकी हेल्थ के हिसाब से काफ़ी ज़्यादा मोटा था।
में : वाउ.. ये तो काफ़ी मोटा है..
इतना बोलते ही उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और ज़ोर ज़ोर से चूत की तरह चोदने लगा.. लंड मेरे गले तक घुस रहा था.. वो चोदे जा रहा था.. मेरा चिपचिपा थूक निकलकर लंड पर लग गया। जिससे कि वो और चिकना हो गया और सरर सररर मुँह में अंदर बाहर होने लगा। में मुँह साईड में करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसने मुझे कसकर बालों से पकड़ा हुआ था.. पर आख़िर में मुँह साईड में करने में कामयाब हो गई और वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरे गले की जगह वो मेरे गाल को अपने मोटे लंड से चोद रहा था.. गाल ऐसा लग रहा था कि फट ही जायेगा.. उसने खूब मुँह को चोदा। फिर जल्दी से मुझे मोड़ा और फिर से कुत्तिया बना दिया और ज़ोर से मेरी बाल -- रहित चूत की फंको को खोल कर अपने लंड का सुपाडा फस कर एक धक्का मार दिया।
दुष्यन्त : साली रांड़ कितनो से चुदवा चुकी है.. चूत तो खुली है तेरी.. पर काफ़ी टाईट है ।
में : आअहह ऊऊ.. मेरे बॉयफ्रेंड से ही बस।
दुष्यन्त : मेरा लंड केसा लगा तुझे।
में : मज़ेदार आआआअहह है काफी मस्त है लंड तुम्हारा.. पर थोड़ा और लंबा होता तो और गहरा उतर जाता.. हहस्सस्स।
दुष्यन्त : गहरे का क्या है? ये देख.. दुष्यन्त ने मेरी चूतड़ पर थप्पड़ मारा और पूरी जान लगाकर अपनी कमर हिलाने लगा.. लग रहा था कि लंड नहीं खंजर हो.. जो मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा है। इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊँ.. में वहां पड़े पड़े ही मज़े ले रही थी.. इतने में फोन बज पड़ा।
नयना : ओये कहां है तू?
में : यहीं हूँ।
नयना : बारिश तो कब की बंद हो गयी.. कब आयेगी।
में : अरे बस निकल रही हूँ।
दुष्यन्त : भोसड़ी की कौन है ये जो चुदाई में बाधा डाल रही है। मैंने पीछे मुड़कर इशारा किया चुप होने का.. दुष्यन्त मेरी पीठ से चिपक गया और मेरे उपर लगभग लेट गया और चोदना चालू रखा।
नयना : अरे यार तेरे चक्कर में कब से खड़ी हूँ.. तू अब जल्दी आजा।
में : बस पहुँच रही हूँ.. उऊऊइीईईई।
नयना : ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ.. दुष्यन्त धीरे से मज़े लेता हुआ कहता है.. चूत चुद रही है रंडी की।
में : उउंम्म रोड़ पर गड्डे है यार काफी.. रिक्शे वाले धीरे चलाओ.. उउउइई माँआआ।
नयना : कौन से रास्ते से आ रही है तू.. खेर जल्दी आजा।
में : ठीक है।
में : फिर बच गई.. दुष्यन्त अब खूब तेज़ झटके मार रहा था। उसका मोटा पठानी लंड मेरी चूत के होंठो से चिपका हुआ जोर जोर से अंदर बहार हो रहा था उसने अपनी दोनों हथेली मेरी पीठ पर रखी.. हाथ सीधे किए और ज़मीन पर सिर्फ़ उसके पंजे थे.. जैसे मेरी पीठ को दबा रहा हो और फिर वो हथेली और पंजो के सहारे ही बेलेंस बनाकर जोरदार झटके मारने लगा। उसके झटके तेज़ हो रहे थे.. में समझ गई कि इसका निकलने वाला है.. में एकदम से आगे हुई और उसका लंड बाहर आ गया.. पर वो झटका मार रहा था और इसलिये बाहर आते ही लंड मेरी गांड के छेद में ज़ोर से लगा।
कर्जदारों ने मेरी बीवी और बेटी की चूत से पैसे वसूले
दुष्यन्त : माँ की लोड़ी आने वाला है.. क्या कर रही है? में एकदम से घुटनो के बल बैठी और अपने दोनों बूब्स में उसका लंड समेट कर ऊपर नीचे करने लगी। उसने मुझे धक्का दिया और में पत्तो पर पीठ के बल गिर गई और वो मेरे उपर चड़ गया और मेरे पेट पर बैठकर अपना लंड मेरे बूब्स के बीच फंसाकर आगे पीछे घिसने लगा। थोड़ी देर में उसकी पिचकारी मेरी गर्दन पर और मुम्मों पर बिखर गई.. मैंने मज़े लेकर उसका माल उंगली से चाटा.. वो मेरे उपर ही लेट गया और लिपट गया।
में : ले लिए मज़े अब तो।
दुष्यन्त : अभी कहां.. अभी तो असली काम बाकी है।
में : वो क्या?
दुष्यन्त : में तेरी मोटी गदराई गांड पर फिदा हूँ.. वो लेनी है।
में : ओह नो.. नहीं प्लीज़... अभी नहीं.. अभी मुझे जाना पड़ेगा.. में बाद में मिलूंगी कभी तो वो भी ले लेना।
दुष्यन्त : चल ठीक है कहां भागेगी.. अब तो तू मेरी रंडी है।
में : हाँ हाँ हाँ... फिर में उठी और दुष्यन्त ने अपना लंड चुसवाकर साफ करवाया। फिर अपने आपको दुष्यन्त की चड्डी से साफ किया और अपने कपड़े पहने। फिर में झाड़ी से बाहर आई.. तो देखा उसी रोड़ पर दूसरी साईड में ऑटो आ रहा था। उस ऑटो में नयना बैठी थी और मुझे देख रही थी.. उसने ऑटो रुकवाया.. पर ऑटो कुछ आगे जाकर रुका। दुष्यन्त पेशाब करके मेरे पीछे से निकला और रिक्शे पर बैठ गया.. नयना उसे मेरे पीछे से निकलते नहीं देख पाई थी।
दुष्यन्त : चलो मेडम।
में : ओह रूको.. मेरी दोस्त यहाँ है।
दुष्यन्त : चलो.. तो फिर अपना नम्बर तो बता दो.. मैंने दुष्यन्त का नम्बर लिया और फिर रिक्शे में बैठकर ही उसी साईड चल दी जहाँ से आई थी.. वेसे दुष्यन्त को भी वापस जाना था.. वहीं आगे में ऑटो के पास उतरी और ऑटो में बैठने लगी।
नयना : अरे पैसे तो दे दे बेचारे को.. में सोच रही थी कि चूत और मुँह तो दे ही दिया है और ऊपर से पैसे भी दूँ।
दुष्यन्त : अरे नहीं नहीं.. मेडम का ख़ाता है मेरे साथ.. कोई बात नहीं.. बाद में ले लूँगा.. जब कभी दिखेंगी। नयना ने कहा.. ओके और हम दोनों चल दिये.. नयना ने रास्ते में कहा.. मुझे सब पता है किस खाते की बात हो रही थी। मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी कि इसे कैसे पता चला? फिर होस्टल पहुँचने पर उसने बताया कि तुझे जो झटके लग रहे थे.. वो चुदाई ही हो सकती थी.. फिर मैंने आँख मारी और कहा कि क्या करूँ? चूत के लिए ये सब करना पड़ता है ।
दुष्यन्त : माँ की लोड़ी आने वाला है.. क्या कर रही है? में एकदम से घुटनो के बल बैठी और अपने दोनों बूब्स में उसका लंड समेट कर ऊपर नीचे करने लगी। उसने मुझे धक्का दिया और में पत्तो पर पीठ के बल गिर गई और वो मेरे उपर चड़ गया और मेरे पेट पर बैठकर अपना लंड मेरे बूब्स के बीच फंसाकर आगे पीछे घिसने लगा। थोड़ी देर में उसकी पिचकारी मेरी गर्दन पर और मुम्मों पर बिखर गई.. मैंने मज़े लेकर उसका माल उंगली से चाटा.. वो मेरे उपर ही लेट गया और लिपट गया।
में : ले लिए मज़े अब तो।
दुष्यन्त : अभी कहां.. अभी तो असली काम बाकी है।
में : वो क्या?
दुष्यन्त : में तेरी मोटी गदराई गांड पर फिदा हूँ.. वो लेनी है।
में : ओह नो.. नहीं प्लीज़... अभी नहीं.. अभी मुझे जाना पड़ेगा.. में बाद में मिलूंगी कभी तो वो भी ले लेना।
दुष्यन्त : चल ठीक है कहां भागेगी.. अब तो तू मेरी रंडी है।
में : हाँ हाँ हाँ... फिर में उठी और दुष्यन्त ने अपना लंड चुसवाकर साफ करवाया। फिर अपने आपको दुष्यन्त की चड्डी से साफ किया और अपने कपड़े पहने। फिर में झाड़ी से बाहर आई.. तो देखा उसी रोड़ पर दूसरी साईड में ऑटो आ रहा था। उस ऑटो में नयना बैठी थी और मुझे देख रही थी.. उसने ऑटो रुकवाया.. पर ऑटो कुछ आगे जाकर रुका। दुष्यन्त पेशाब करके मेरे पीछे से निकला और रिक्शे पर बैठ गया.. नयना उसे मेरे पीछे से निकलते नहीं देख पाई थी।
दुष्यन्त : चलो मेडम।
में : ओह रूको.. मेरी दोस्त यहाँ है।
दुष्यन्त : चलो.. तो फिर अपना नम्बर तो बता दो.. मैंने दुष्यन्त का नम्बर लिया और फिर रिक्शे में बैठकर ही उसी साईड चल दी जहाँ से आई थी.. वेसे दुष्यन्त को भी वापस जाना था.. वहीं आगे में ऑटो के पास उतरी और ऑटो में बैठने लगी।
नयना : अरे पैसे तो दे दे बेचारे को.. में सोच रही थी कि चूत और मुँह तो दे ही दिया है और ऊपर से पैसे भी दूँ।
दुष्यन्त : अरे नहीं नहीं.. मेडम का ख़ाता है मेरे साथ.. कोई बात नहीं.. बाद में ले लूँगा.. जब कभी दिखेंगी। नयना ने कहा.. ओके और हम दोनों चल दिये.. नयना ने रास्ते में कहा.. मुझे सब पता है किस खाते की बात हो रही थी। मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी कि इसे कैसे पता चला? फिर होस्टल पहुँचने पर उसने बताया कि तुझे जो झटके लग रहे थे.. वो चुदाई ही हो सकती थी.. फिर मैंने आँख मारी और कहा कि क्या करूँ? चूत के लिए ये सब करना पड़ता है ।