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गाँव की कुंवारी लड़की की चुदाई

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दोस्तों में जो आज कहानी लेकर आया हु वो गाँव की लड़की की चुदाई की है। कैसे गाँव की लड़की की चुदाई मैंने चोदा। अगर आपको कहानी पसंद आई तो आपके दोस्त साथ जरूर शेयर करे।

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम हिमम्मीशु है। मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 25 साल है।

मैं दिखने में आकर्षक हूँ। अच्छी कंपनी में जॉब भी करता हूँ। फिलहाल वर्क फ्रॉम होम कर रहा हूँ।

यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है। देसी विलेज चूत हिंदी कहानी में कुछ गलती हो सकती है। उसके लिए पहले ही माफी मम्मीग रहा हूँ।

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हुआ यूं कि एक दिन घर पर झगड़ा हुआ और मैं कुछ पैसे लेकर घर छोड़ कर निकल गया। काम को लेकर कोई चिंता नहीं थी क्योंकि लैपटॉप पर काम हो जाता था।

मैं ट्रेन पकड़ कर दूर के जिले के एक दूरदराज के गांव में आ गया।

वहां मैंने एक खेत में काम कर रही आंटी से पूछा- मुझे यहां कुछ दिन रहना है, कोई होटल जैसा कुछ है क्या? वह बोलीं- यहां पर कुछ नहीं है। मगर तुम चाहो तो मेरे घर में रह सकते हो। लेकिन तुम्हें घर के बाहर सोना होगा और खाने के लिए पैसे भी देने होंगे।

मैं राजी हो गया और मैंने कहा- ठीक है।

आंटी मुझे अपने घर लेकर गईं और मेरा सामान अपने छोटे से घर में रखवा लिया।

मैं लैपटॉप और अन्य सामान से बेफिक्र होकर निकल गया और घूम फिर कर शाम को वापस आ गया।

घर आकर देखा तो घर में एक लड़की भी थी जो बहुत ही खूबसूरत थी।

आंटी- ये मेरी बेटी दीक्षा है, अभी 12वीं में पढ़ती है।

दीक्षा ने हैलो कहा। मैंने भी उसकी जवानी को आंखों से चोदते हुए हैलो कहा। उसकी नजरों ने शायद मेरे वासना को पढ़ लिया था।

दीक्षा दिखने में काफी सुंदर थी। वह ऐसी लग रही थी, जैसे रश्मिका मंदाना हो। उसे देखकर ही मुझे कुछ हो गया था।

रात को सब खाना खाने बैठे तो मैंने आंटी से उनके घर के बारे में पूछा।

आंटी ने बताया कि दीक्षा के बाबा ने कर्ज की वजह से आत्महत्या कर ली थी। दीक्षा के बाबा के जाने के बाद वह दोनों ही घर में रहती थीं।

ये सब बताते हुए आंटी रोने लगीं। मैंने उन्हें दिलासा देते हुए कहा- कुछ नहीं आंटी …...... धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा।

कुछ देर में खाना आदि खत्म हुआ और मैं बाहर बरामदे में सो गया। दूसरे दिन दीक्षा अपनी मम्मी के साथ खेतों में जाने लगी।

उस दिन मेरे पास कोई काम नहीं था, तो मैं भी उनके साथ खेतों में चला गया। उधर मैंने उनकी मदद की।

उसी दौरान मैं दीक्षा से बात भी करने लगा। उसे भी मेरे साथ अच्छा लग रहा था।

मैंने उससे दोस्ती कर ली। हालांकि वह मुझे थोड़ा डर डर के बात करती थी।

ऐसे ही मुझे एक हफ्ता हो गया। अब मैं उनके घर का एक सदस्य जैसा बन चुका था।

एक दिन जब मैं गांव में घूमकर वापस आ रहा था तो दीक्षा के घर में कुछ लोग आकर दीक्षा की मम्मी को गालियां दे रहे थे और दीक्षा को भी उल्टा सीधा बोल रहे थे।

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उसमें से एक ने उनके घर का सामान भी बाहर फेंकना शुरू कर दिया था।

मैंने जाकर दीक्षा से पूछा- क्या हुआ …...... ये सब लोग कौन हैं? वह रो कर बताने लगी- बाबा ने जो 40 हजार रुपए का कर्जा लिया था। उसी को वसूलने के लिए ये लोग ऐसा कर रहे हैं।

मैंने उससे बिना कुछ बोले अपने बैग में से चैक बुक निकाल कर चैक दे दिया और धमका कर वापस भगा दिया।

जैसे ही वह लोग गए दीक्षा ने मुझे गले से लगा लिया और रोने लगी। वह मुझे धन्यवाद कहने लगी।

उसकी मम्मी भी मुझे धन्यवाद दे रही थी। हमने मिल कर घर का सब सामान भीतर रख लिया।

दीक्षा बार बार मुझे देख रही थी। हमारी नजरों में प्रेम झलक रहा था।

मैं हल्के से मुस्कुरा दिया तो वह हंसकर शर्मा गई। उस शाम खाना खाकर आंटी सो गई थीं।

मैं बाहर बरामदे में बैठ कर मोबाइल चला रहा था।

दीक्षा बाहर आ गई और मेरे पास बैठ कर बोली- क्या कर रहे हो। क्या नींद नहीं आ रही है? मैं- कुछ नहीं, बस ऐसे ही बैठा हूँ।

दीक्षा और मैं बैठकर बातें करने लगे। वह बार बार मुझे दिन की घटना के लिए धन्यवाद कह रही थी।

उसने मेरे बारे में तफ़सील से पूछना शुरू किया। मेरे घर के बारे में उसके सवाल मुझे घर की याद दिलाने लगे थे।

कुछ देर तक मैं चुप रहा, फिर मैंने उसे सब बताया कि मैं अपने घर से क्यों आ गया हूँ और मेरी नौकरी का क्या स्टेटस है।

ऐसे ही बातें करते हुए उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैं पहले तो उसे देखता रहा और कहा- नहीं।

उसके चेहरे पर एक अनजानी सी खुशी दिखने लगी थी। लेकिन वह अपनी खुशी को छुपा रही थी।

बाद में वह सोने चली गई।

अगले दिन जब सुबह दीक्षा चाय लेकर आई तो मुझे जगा कर बोली- चाय पी लो …...... आज मैंने बनाई है।

मैंने कहा- ठीक है, मेरे पास बैठो। वह मेरे पास बैठ गई।

मैंने चाय के एक दो घूंट पिए और उससे कहा- ऐसी चाय जिंदगी भर पिलानी होगी वादा करो, तभी बताऊंगा कि कैसी बनी। उसे कुछ समझ में नहीं आया कि जिंदगी भर से मेरा क्या मतलब था।

मैं चाय का कप वापस देकर उसे देखने लगा। वह मुस्कुरा दी।

कप भीतर रख कर वापस आई और कहने लगी- क्या तुमने मुझे प्रपोज किया था? उसको मेरी बात का मर्म देर में समझ आया था।

मैंने उसकी तरफ देख कर अपने होंठ गोल करके चुंबन का इशारा कर दिया। वह शर्माकर भीतर चली गई।

उस दिन मेरी उससे पूरे दिन बात नहीं हुई। मैं भी गांव के तालाब पर चला गया और सारे दिन उधर बैठ कर दीक्षा को लेकर सोचता रहा।

रात को घर आया और खाना खाने के बाद मैं बाहर आ गया। भीतर आंटी और दीक्षा सोई हुई थीं।

आंटी के गहरी नींद में सो जाने के बाद दीक्षा बाहर आई और मेरे पास बैठकर मुझको देखने लगी।

मैंने उसका हाथ में अपने हाथ में ले लिया और कहा- आई लव यू दीक्षा। क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो? उसने हां कह दिया और मेरे गले से लग गई।

मैंने उसे कस कर जकड़ लिया और ऐसे ही कुछ समय तक बैठे रहे एक दूसरे से बातें करते रहे।

फिर जैसे ही वह घर के भीतर जाने को उठी, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे लिपकिस करने लगा।

वह मुझसे खुद को छुड़ा कर हंसती हुई घर के भीतर चली गई। अब ऐसे ही रोज होने लगा।

मुझे अब एक महीने से ऊपर हो चुका था।

एक दिन उसकी मम्मी बाजार गई हुई थीं। दीक्षा ने मुझे भीतर बुलाया और मुझसे लिपट गई।

मैंने कहा- क्या हुआ बेबी …...... तुम्हारी मम्मी आ जाएंगी …...... हटो। दीक्षा- आने दो। वह मुझे चूमने लगी।

मैंने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके नर्म गुलाबी होंठों को चूमने लगा। धीरे धीरे मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा। उसकी सांसें अब तेज होने लगी थीं।

मैंने उसके चूचियों को उसके कपड़ों के ऊपर से ही छुआ और हाथ में एक दूध को पकड़ कर दबाने लगा। साथ ही मैं उसे किस करने लगा।

दीक्षा को अपनी बांहों में उठाकर मैंने चारपाई पर लिटा दिया और उसके ऊपर छा गया। मैं उसके नाजुक से होंठों को चूमने लगा और धीरे धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए।

उसके चूचियों को बारी बारी से मैं अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा।

उसका एकदम गोरा और मदहोश करने वाला बदन उझे उत्तेजित कर रहा था। मैं उसको चूम रहा था।

उसके पेट पर किस करते हुए धीरे से मैं उसकी चूत पर आ गया। मैं उसकी अनचुदी चूत को चाटने लगा।

जैसे ही मेरा मुँह उसकी फूली हुई चूत को चाटने लगा, उसने मेरा सर दबा लिया और कराहने लगी ‘ऊऊह आह ओओह …......’

उससे रहा नहीं गया और उसने मुझे अपने ऊपर से हटाकर मेरे सारे कपड़े उतार दिए।

जैसे ही उसने मेरा 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा लंड देखा तो वह लौड़े को हाथ लगाकर सहलाने लगी।

पहली बार किसी लड़की ने मेरे लंड को हाथ लगाया था। फिर उसने जैसे ही मेरा लंड मुँह में लिया, मुझे तो जन्नत की अनुभूति होने लगी।

कुछ मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसे चित लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया।

उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगाकर मैं लंड से चूत को रगड़ने लगा।

दीक्षा मचलने लगी और कहने लगी- आह अब मत तड़पाओ। मैंने उसकी ओर देखा और लंड को चूत पर सैट कर दिया।

उसने गांड उठा कर लंड पेलने का इशारा कर दिया। मैंने धक्का दे मारा, पर लंड फिसल गया।

मैंने दूसरी बार धक्का मारा तो लंड का टोपा जैसे ही चूत के भीतर गया।

वह चीख उठी। दीक्षा को अहसास ही नहीं था कि लौड़े से इतना दर्द हो सकता है। वह कराहती हुई कहने लगी- आंह मर आई …...... बाहर निकालो।

मैंने उसे किस किया, उसके मम्मों को चूसा।

वह शांत हुई तो मैंने दूसरा धक्का मारा।

इस बार मेरा पूरा लंड भीतर घुस गया। अब दीक्षा रोने लगी। मैंने उसे समझाते हुए कहा- पहली बार में होता है।

मैं उसे किस करता रहा। कुछ देर बाद उसकी दर्द भरी आवाजें बंद हो गईं।

मैं धीरे धीरे लौड़े को उसकी बुर में भीतर बाहर करने लगा। उसकी चूत से चिकना पानी रिसने लगा था, जिस वजह से मजा आने लगा था।

अब दीक्षा मस्त होकर लंड के मजे ले रही थी। उसकी आवाजों में मस्ती के सुर निकलने लगे थे ‘उउउम्म अहह ओह …...... बड़ा अच्छा लग रहा है …...... और करो।’

दीक्षा अब तक दो बार झड़ चुकी थी। मुझे भी उसकी संकरी चूत में लंड आगे पीछे करने में जबरदस्त मजा आ रहा था।

कुछ बीस मिनट बाद मैंने दीक्षा से कहा- मेरा होने वाला है। दीक्षा ने कहा- भीतर ही निकाल दो।

मैं 7-8 धक्कों के बाद उसकी चूत के भीतर ही झड़ गया और दीक्षा के ऊपर लेट गया।

दीक्षा मुझे किस कर रही थी, मैं उसके बाजू में लेटकर उससे मस्ती कर रहा था।

मैंने दीक्षा से कहा- मैं 3 दिन बाद घर जा रहा हूँ। यह सुनकर वह रोने लगी और उसने मुझे कस कर जकड़ लिया।

मैंने उससे कहा- मैं अकेला नहीं जाऊंगा, तुम्हें साथ लेकर जाऊंगा। अपनी बीवी बना कर!

इस पर वह शर्मा गई और उठने को हुई। उससे उठा नहीं जा रहा था।

मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर उसकी चूत को पानी से धोया।

मैंने गैस पर गर्म पानी करके उससे चूत की सिकाई की, फिर उसे कपड़े पहना कर बाहर बिठाया।

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इस तरह से तीन घंटे तक चले हमारे रोमम्मीस के बाद जैसे ही दरवाजा खोला तो पाया कि दीक्षा की मम्मी बाहर बैठकर हमारी बातें सुन रही थीं और वे हमारी रासलीला देख चुकी थीं।

लेकिन वे कुछ नहीं बोलीं और भीतर जाकर काम करने लगीं।

मैं एक बार को तो डर गया था। लेकिन जब दीक्षा की मम्मी ने कुछ नहीं कहा तो मुझे शांति मिली और मैं थोड़ी देर के बाहर जाकर बैठ गया।

करीब एक घंटा बाद दीक्षा बाहर आई और उसने मुझे खुशखबरी सुनाई- मम्मी को हमारा रिश्ता मंजूर है। लेकिन उसे भी तुम्हारे मम्मी पापा को मिलना है।

मैंने कहा- हां जरूर मिलाएंगे लेकिन अभी मैं 7-8 दिन यहीं रहूँगा और उन्हें यहीं बुलाऊंगा।

दीक्षा ने यह बात आंटी को बताई। मैंने घर पर फोन करके सब बताया, मम्मी को दीक्षा की और अपनी एक साथ वाली तस्वीर भी भेजी।

उन्हें भी दीक्षा पसंद आ गई थी। मम्मी ने कहा कि वे लोग 15 दिन बाद आ पाएंगे। मैंने कुछ नहीं कहा और फोन काट दिया।

रात को खाना खाने के बाद मैं बाहर बरामदे में सोने को निकलने लगा।

तो आंटी बोलीं- तुम अब से भीतर वाले रूम में सो जाया करो।

मैं भीतर जाकर सोया ही था कि करीब 12 बजे दीक्षा आई और मुझसे कहने लगी- बीवी को छोड़कर अकेले सोये हो! मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसे चूमने लगा।

उसने भी अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसे पकड़ लिया और बोली- अब मुझे ये चाहिए। मैं उसे किस करने लगा।

उस रात को मैंने दीक्षा को डॉगी बना कर हचक कर चोदा।

उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर उसकी मम्मी भी जाग गई थी। मगर मुझे अब आंटी का कोई डर नहीं था। मैंने दीक्षा को पूरी रात चोदा।

सुबह 5:30 बजे हम दोनों सो गए। फिर 8 बजे आंटी ने आवाज लगाई लेकिन हमें ना उठता देख कर वे खेतों में काम करने चली गईं।

दस बजे आंख खुली तो देखा दीक्षा चाय लेकर आ रही थी। उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।

मैंने पूछा- स्वीटहार्ट, कैसी रही सुहागरात? दीक्षा ने कहा- ऐसे कोई चोदता है क्या …...... पूरी रात में तुमने मेरी चूत के चिथड़े उड़ा दिए। मुझसे चला भी नहीं जा रहा है।

मैंने उसके हाथ से चाय की ट्रे को लेकर साईड में रखा और उसे अपनी गोद में बिठा कर कहा- मेरा प्यार पसंद नहीं आया क्या? दीक्षा गले से लगकर कहने लगी- प्यार तो बहुत पसंद आया। लेकिन हमारी वजह से मम्मी पूरी रात सो नहीं पाई।

मैं दीक्षा को फिर से किस करने लगा, उसके मम्मों को चूसने लगा।

जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए और मैंने उसे फिर से आधा घंटा तक चोदा।

उसके कुछ दिन बाद हमारी शादी हुई। शादी के बाद मैं दीक्षा के घर में ही रहने लगा।

दीक्षा का घर चूंकि छोटा था तो अक्सर ऐसा होता था कि आंटी मुझे नंगा देख लेती थीं। मैं भी बिंदास उन्हें अपना लंड दिखाने लगा था।

एक साल बाद हमारा एक लड़का भी हो गया था। मेरी खूबसूरत बीवी दीक्षा भी खुश है। हम दोनों रोज चुदाई करते हैं।

उसके बाद कुछ ऐसा हुआ, जो मेरे लिए दोनों हाथ में लड्डू जैसा हो गया।

आप सही समझ रहे हैं। आंटी की नजर भी मेरे लौड़े पर टिक गई थी।

मैंने आंटी को किस तरह से चोदा और कैसे उन दोनों मम्मी बेटी को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदा। वह सब मैं अगली कहानी में बताऊंगा।

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